Aditya L1 latest update– भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 अब अपने मिशन के सबसे कठिन फेज में पहुँच चुका है. अब आदित्य L1 के हेलो ऑर्बिट से गुजरने का समय आ गया है. इसरो के प्रमुख के. सोमनाथ ने 23 दिसम्बर को बताया था कि Aditya L1 के सूर्य के लैंगरेंज पॉइंट पर अपने तय समय अर्थात् 6 जनवरी को पहुँचने की सम्भावना है.
लैंगरेंज पॉइंट पर पहुँचने के लिए Aditya L1 को सूर्या के हेलो ऑर्बिट से गुजरना होगा. जिसके लिए सटीक नेविगेशन और Complete कंट्रोल की आवश्यकता होगी. इसके लिए Aditya L1 को अपनी ट्रेजेक्त्री और वेलोसिटी को मेन्टेन करना जरुरी होगा.
Aditya L1 latest update- क्या है हेलो ऑर्बिट
इसरो प्रमुख के सोमनाथ ने 23 दिसम्बर को दिए जानकारी में बताया था कि भारत का पहला सौर मिशन अब अपनी मंजिल के और करीब पहुँच चुका है. अब जल्द ही वह अपने सफ़र के सबसे कठिन दौर से यानि हेलो ऑर्बिट से गुजरने वाला है. Aditya L1 latest update आर्टिकल के इस part में हम जानेंगे कि क्या है हेलो ऑर्बिट? क्यों इसकी इतनी ज्यादा चर्चा हो रही है?
हेलो ऑर्बिट पृथ्वी और सूर्य के बीच पड़ने वाले गुरुत्वाकर्षण संतुलन के बिंदु जिसे लैंगरेंज बिंदु कहते हैं, उसके वाली ऑर्बिट को कहते हैं, जिससे गुजरकर कोई वस्तु या ऐसे कहें कि कोई अन्तरिक्ष मिशन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलकर एक ऐसे बिंदु पर पहुँच जाता है जहाँ पर पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण किसी वस्तु पर एक समान कार्य करते हैं.
हेलो ऑर्बिट को Aditya L1 का सबसे कठिन फेज क्यों कहा जा रहा है?
Aditya L1 latest update आर्टिकल के इस सेक्शन में हम जानेंगे कि हेलो ऑर्बिट को आदित्य L1 मिशन का सबसे कठिन फेज क्यों कहा जा रहा है? हेलो ऑर्बिट से गुजरते समय इसरो को आदित्य L1 के प्रक्षेप पथ और उसकी गति पर पूर्ण नियंत्रण रखना होगा. साथ ही इस दौरान इसरो को एक बार फिर Aditya L1 का इंजन चालू करना होगा ताकि यह अपने निर्धारित बिंदु लैंगरेंज बिंदु तक पहुँच सके. एक बार यह लैंगरेंज बिंदु तक पहुँच गया तो फिर यह अपने आप लैंगरेंज कक्षा में स्थापित होकर सूर्य की परिक्रमा करने लगेगा.
हेलो ऑर्बिट का उपयोग करने वाला पहला मिशन ISEE-3 था , जो 1978 में लॉन्च किया गया एक संयुक्त ईएसए(European Space Agency) और नासा अंतरिक्ष यान था। इसने सूर्य-पृथ्वी एल 1 बिंदु तक यात्रा की और कई वर्षों तक वहां रहा।
हेलो कक्षा का उपयोग करने वाला अगला मिशन सौर और हेलियोस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) था, जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक संयुक्त ईएसए/नासा मिशन भी था, जो 1996 में सूर्य-पृथ्वी एल 1 पर पहुंचा था । इसमें आईएसईई-3 के समान कक्षा का उपयोग किया गया था।
Aditya L1 मिशन कब तक काम करेगा
इसरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार आदित्य L1 मिशन को 5 साल तक सूर्य की परिक्रमा करते हुए रिसर्च करने के लिए भेजा गया है.
जब आने वाली 6 जनवरी 2024 को Aditya L1 मिशन अपने गंतव्य बिंदु लैंगरेंज बिंदु पर पहुँच जायेगा तो हमे अगले 5 साल तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं की सटीक जानकारी हासिल करने में मदद मिलने की सम्भावना है. ताकि सूर्य पर होने वाली घटनाओं से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सके और आने वाले समय में पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों बचने के लिए उपाय किया जा सके.
Aditya L1 मिशन कब लांच हुआ था
Aditya L1 latest update आर्टिकल के इस part में हम जानेंगे कि भारत का पहला सौर मिशन कब launch हुआ था.
आदित्य L1 मिशन बीते सितम्बर माह की 2 तारीख को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हुआ था. इसे सूर्य से लगातार बहने वाली ऊर्जा जिसे चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं, का अध्ययन करने के लिए भेजा गया है. इसरो ने इसी माह 8 दिसम्बर शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर Aditya L1 द्वारा खिंची गई कुछ तस्वीरों को साझा किया था.
Pingback: वीर बाल दिवस 2023- इतिहासकारों ने वीर साहिबजादों के बलिदान को क्यों भुला दिया - Gyan Duniya
Pingback: XPoSat Mission 2024- आज लांच होगा भारत का पहला Polarimetri Mission 2024