प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की इस सफलता के अवसर पर वैज्ञानिकों को सम्मानित करते हुए 26 अगस्त 2023 को जिस स्थान पर चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम ने लैंडिंग की थी, उसका नाम शिव-शक्ति पॉइंट रखने की घोषणा की है।
विक्रम के लैंडिंग के ढाई घंटे बाद ही रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर उतर गया। लैंडर ने रोवर प्रज्ञान के उतरने की तस्वीर भी साझा की थी। सतह पर उतरने के बाद से रोवर प्रज्ञान लगातार नई-नई जानकारियां इसरो के साथ साझा कर रहा है। इसरो भी अपने इस मिशन से जुड़ी सभी जानकारियां लगातार लोगों के साथ साझा कर रहा है।
23 अगस्त 2023: भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण
आज पूरा देश अगर इस ऐतिहासिक क्षण का आनंद ले पा रहा है तो इसके पीछे इसरो के वैज्ञानिकों की दिन-रात की गई मेहनत है, हार ना मानने का जज्बा है, आसमान की ऊंचाई सा जोश है।
चंद्रयान-2 की लैंडिंग की असफलता के बाद 4 साल के अंदर फिर से लैंडिंग के लिए प्रयास करना और सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेना वह भी चंद्रमा के उस स्थान पर जहां विश्व का कोई भी देश आज तक पहुंच ना पाया हो और जहां रूस जैसा शक्तिशाली देश जिसकी स्पेस एजेंसी भारतीय एजेंसी की अपेक्षा अधिक एडवांस है, उसका चंद्र मिशन लूना 25 दो दिन पहले ही क्रैश हो गया हो, सफलतापूर्वक लैंडिंग कराकर इसरो ने space research मे एक लंबी छलांग लगाई है।
इसकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक इसका सफल चंद्रयान कार्यक्रम है। भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान 1 ने ही पहली बार विश्व में चंद्रमा पर पानी की खोज की थी। चंद्रमा पर अपने रिसर्च को गति देने के लिए वर्ष 2019 में भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन को लॉन्च किया था जिसका उद्देश्य था चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करना किंतु कुछ तकनीकी खराबी होने की वजह से भारत का मिशन चंद्रयान-2 पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था।
उन्हें कमियों को सुधारते हुए हाल ही में 14 जुलाई 2023 को इसरो ने फिर से चंद्रयान 3 लॉन्च किया था जिसके लैंडर ने 23 अगस्त 2023 को 6:04PM पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया।
चंद्रयान 3:
विज़न चंद्रयान-3 की कल्पना भारत की Moon Research श्रृंखला की तीसरी उड़ान के रूप में की गई थी। चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 से सीखे गए अनुभवों और सबक पर आधारित, इस मिशन का उद्देश्य Moon Research Race में भारत के योगदान को आगे बढ़ाना है। चंद्रयान-3 के मुख्य उद्देश्यों में उन्नत वैज्ञानिक प्रयोग करना, चंद्रमा के भूविज्ञान का अध्ययन करना और भविष्य के Moon Mission के लिए संभावनाओं की तलाश करना शामिल है।
चंद्रयान 3 की लांचिंग
मिशन को भारत के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV MK III के जरिए लॉन्च किया गया था, GSLV MK III रॉकेट, जो अपनी विश्वसनीयता और शक्ति के लिए जाना जाता है। यह प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जो एक असाधारण मिशन की शुरुआत का प्रतीक था। इसके मुख्य भागों में से एक रोवर प्रज्ञान था, जिसे चंद्रमा की सतह पर लैंड करने, सैंपल एकत्र करने और प्रयोगों का संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
रोवर High Resolution वाले कैमरों और वैज्ञानिक पेलोड सहित अत्याधुनिक उपकरणों से लैस था। चंद्रयान -3 का एक और उल्लेखनीय पहलू इसका ऑर्बिटर था। इस अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की परिक्रमा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो पृथ्वी और रोवर के बीच महत्वपूर्ण संचार लिंक प्रदान करता है। ऑर्बिटर अपने साथ वैज्ञानिक उपकरणों का एक सेट भी ले गया, जिसने चंद्रमा की संरचना और भूवैज्ञानिक इतिहास की हमारी समझ में योगदान दिया।
वैज्ञानिक खोजें
चंद्रयान -3 की वैज्ञानिक उपलब्धियां किसी अभूतपूर्व उपलब्धि से कम नहीं थीं। चंद्रमा की सतह पर लैंड होने के बाद रोवर ने कई तरह के प्रयोग करेगा। ये चंद्रमा की मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण करेगा, चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा। यह चंद्रमा की सतह से ली गई आश्चर्यजनक छवियां भी भेज रहा है। यह चंद्रमा के भूविज्ञान और भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए एक संसाधन के रूप में भारत की क्षमता की बढ़ाने और चंद्रमा के बारे में हमारे ज्ञान में काफी विस्तार करेगा।
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