मकर संक्रांति 2024– देश भर में इस समय मकर संक्रांति की धूम चल रही है. अनेक स्थानों पर इसे कई नामों से जाना जाता है. उत्तर भारत के अधिकतर इलाकों में इसे खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है. जबकि पंजाब के क्षेत्रों में मकर संक्रांति लोहड़ी के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान सूर्य नारायण उत्तर दिशा की ओर गमन करना प्रारंभ कर देते हैं. इसलिए इस संक्रांति का महत्त्व सबसे ज्यादा है.
अनेक स्थानों पर मकर संक्रांति के विषय में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसी ही एक मान्यता है कि इस दिन से देवताओं का दिन शुरू होता है और इस वजह से इस दिन से स्वर्ग का द्वार खुल जाता है. साथ ही सूर्य भी उत्तरायण हो जाते हैं. इसलिए इस दिन के बाद से देश भर में शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
मकर संक्रांति के दिन खुलता है स्वर्ग का दरवाजा
हिन्दू धर्म में हर घटना के पीछे कोई ना कोई बजह बताई गई है. मकर संक्रांति के विषय में भी शास्त्रों में काफी कुछ लिखा है और शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति का दिन शुभ कार्यों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होता है. देश भर में अनेक स्थानों पर इस दिन कोई ना कोई नया काम अवश्य होता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार जैसे हमारा 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है वैसे ही देवताओं के लिए भी दिन और रातें होती हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं का एक दिन धरती के 6 माह के बराबर होता है और 1 रात भी धरती के 6 महीने के बराबर होता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन से देवताओं के दिन का आरंभ होता है. इसलिए कहा जाता है कि इस दिन स्वर्ग का द्वार खुल जाता है और समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
ऐसी मान्यता है कि इसी त्यौहार पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.
15 जनवरी को मनाई जाएगी खिचड़ी(मकर संक्रांति)
हिंदू पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस अवसर पर शुभ मुहूर्त रहेगा. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो ज्योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं. इसी कारण इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इस अवसर पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है.
मकर संक्रांति पुण्यकाल – प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल –प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
क्यों सबसे महत्त्वपूर्ण संक्रांति है मकर संक्रांति
वैसे तो एक सौर वर्ष में 12 सौर मास होते हैं और हर सौर मास के बाद सूर्य अपनी राशि बदलता है. जब भी सूर्य अपनी राशि बदल कर दुसरे राशि में प्रवेश करता है, तो उस क्षण को संक्रांति के नाम से जाना जाता है. एक सौर वर्ष में 12 बार सूर्य अपनी राशि बदलता है, इस वजह से वर्ष में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं. परन्तु मकर संक्रांति का महत्त्व अन्य संक्रांतियों से ज्यादा होता है. क्योंकि इस संक्रांति पर सूर्य भी उत्तरायण हो जाते हैं और साथ में शुभ कार्यों की शुरुआत होने लगती है. इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए मकर संक्रांति का महत्व सबसे ज्याद है.
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