GPS Spoofing- टेक्नोलॉजी की दुनिया में हम जितना एडवांस होते जा रहे हैं, टेक्नोलॉजी से खतरे भी उतने ही बढ़ते जा रहे हैं. आज हम टेक्नोलॉजी के उसी खतरे की आज हम चर्चा करेंगे जिसका इजराइल युद्ध में हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा है. हम बात कर रहे हैं GPS Spoofing की, जो न केवल किसी देश की सुरक्षा के लिए लाभ दायक सिद्ध हो सकती है बल्कि ये उसकी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक भी हो सकती है.
GPS जिसका प्रयोग आज कल आम जनमानस तक एक स्थान से दुसरे स्थान जाने के लिए आम तौर पर करता है. आम तौर पर प्रयोग होने वाले GPS सिग्नल incripted नहीं होते हैं इसलिए इन्हें हैकर्स द्वारा आसानी से हैक सकते हैं. सोचिये अगर जिस GPS पर आप आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं, अगर इसे कोई हैक कर ले और आपको जीपीएस पर गलत सिग्नल मिले, आपको जहाँ जाना हो जीपीएस उसे वास्तविक स्थान से कहीं और दिखाए तो आपको कितनी हानि हो सकती है.
और अगर ऐसा ही एविएशन में हो जाये तो किसी देश को कितनी बड़ी हानि हो सकती है? इसलिए आइये इस लेख में हम GPS Spoofing जानते हैं.
क्या है GPS Spoofing
वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (GNSS) कई औद्योगिक देशों में वर्षों से मौजूद है और जीपीएस उन प्रणालियों में से एक है। आम तौर विश्व के अधिकतर देश अमेरिका के GPS को Use करते हैं. GPS सिस्टम 31 उपग्रहों से बना है जिन्हें नेवस्टार के नाम से जाना जाता है. हालांकि सिर्फ GPS ही एकमात्र नेविगेशन सिस्टम नहीं है. रूस के ग्लोनास और यूरोप के गलीलियो भी ऐसे ही सिस्टम हैं. चाइना के पास बीडाउ है. जबकि भारत ने भी हाल ही में अपना नेविगेशन सिस्टम नाविक बना लिया है लेकिन अमेरिका की तुलना में इनके सैटेलाइट की संख्या कम है.
जीपीएस स्पूफिंग तब होती है जब कोई वैध जीपीएस उपग्रह सिग्नल का मुकाबला करने के लिए रिसीवर एंटीना को नकली जीपीएस सिग्नल भेजने के लिए रेडियो ट्रांसमीटर का उपयोग करता है। अधिकांश नेविगेशन सिस्टम सबसे मजबूत जीपीएस सिग्नल का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और नकली सिग्नल कमजोर लेकिन वैध उपग्रह सिग्नल को ओवरराइड करता है। जब किसी कमजोर जीपीएस सिग्नल को नकली सिग्नल द्वारा change कर दिया जाता है तो उसे ही GPS Spoofing कहते हैं
कैसे कर रहा इजराइल GPS Spoofing का प्रयोग
न्यूज़ एजेंसी Eurasian Times के मुताबिक इजराइल हिज़्बुल्लाह द्वारा हो रहे मिसाइल हमलों के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए अपने अधिकांश उत्तरी हवाई क्षेत्र पर GPS Spoofing का उपयोग कर रहा है, हालांकि इससे इज़राइली लोगों और वाणिज्यिक विमानों को भी खतरा हो रहा है। पर हिजबुल्लाह के मिसाइलों के हमलों से बचने के लिए इजराइल ने ये तकनीक प्रयोग करके दुनिया को युद्ध की एक नई कला को शुरू किया है.
टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया GPS Spoofing के प्रयोग का दावा
ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का एक समूह, जो वर्षों से इस क्षेत्र में जीपीएस सिग्नलों की निगरानी कर रहे थे, उन्होंने एक अजीब पैटर्न उभरता हुआ पाया. उन्होंने देखा कि भूमध्य सागर के पास उड़ान भरने वाले विमान कुछ समय के लिए गायब हो गए। इज़राइल के हिस्से में इसकी सूचना सबसे पहले इज़रायली प्रकाशन हारेत्ज़ ने दी थी।
विशेषज्ञों ने तब से नोट किया है कि यह पैटर्न “जीपीएस स्पूफिंग” नामक तकनीक के उपयोग की ओर संकेत करती है, जो अनिवार्य रूप से हवाई जहाज और सटीक-निर्देशित मिसाइलों सहित किसी भी जीपीएस-सक्षम वस्तु के स्थान को तिरछा कर देता है।
टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टॉड हम्फ्रेस ने पोलिटिको को बताया, “यह स्पूफिंग का सबसे निरंतर और स्पष्ट संकेत है जो मैंने अब तक देखा है” और निश्चित रूप से सैकड़ों बड़े वाणिज्यिक हवाई जहाजों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि स्पूफिंग पैटर्न की खोज सबसे पहले उनके एक छात्र ने की थी.
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