Constitution Day: 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को प्रभावी रूप से देश में लागू किया गया था। इसी के साथ भारत राष्ट्र में गणराज्य की स्थापना की गई थी, इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाया है। इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। संविधान दिवस में देशभर में अनेक कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं जो संविधान के महत्व को याद करते हैं और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करते हैं।
Constitution Day 2023- संविधान दिवस कब मनाया जाता है?
हम सभी जानते हैं कि संविधान 26 जनवरी 1950 को देश में लागू हुआ था, लेकिन यह 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था, इसलिए 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान बनने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा था। संविधान की ओरिजिनल कॉपी 16 इंच चौड़ी है। इसे 22 इंच लंबे प्रैचमेंट शीट पर लिखा गया है। इसमें कुल 251 पेज हैं। भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 खण्ड और 8 अनुसूचियां हैं। हालांकि, इस समय हमारे संविधान में 470 अनुच्छेद, 25 खण्ड और 12 अनुसूचियों के साथ-साथ 5 परिशिष्ट भी हैं।
26 नवम्बर देश के लिए काफी महत्त्वपूर्ण दिवस है, इस दिन संविधान दिवस के साथ साथ राष्ट्रीय कानून दिवस और राष्ट्रीय दुग्ध दिवस भी मनाया जाता है।
Constitution Day- कब से हुई थी संविधान दिवस की शुरुआत
संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया था, तब से ही 26 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। 19 नवंबर, 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया था। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2015 को मुंबई में बीआर अंबेडकर की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी स्मारक की आधारशिला रखते हुए यह घोषणा की । इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।
संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो। इसीलिए इस दिन स्कूल और कॉलेजों में भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही भारत के संविधान की विशेषता और महत्व पर भी चर्चा की जाती है। भारतीय संविधान को विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान माना जाता है। इसमें कई देशों के संविधान को अपनाया गया है। इसके अनेक बिंदु दक्षिण अफ्रीका, रूस, यूके, अमेरिका , जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारत के संविधान की प्रस्तावना के पीछे के आदर्श जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य संकल्प द्वारा निर्धारित किए गए थे , जिसे 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। संविधान में, यह इसके निर्माताओं के इरादे, इसके निर्माण के पीछे के इतिहास और राष्ट्र के मूल मूल्यों और सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है। भारतीय संविधान में प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा गया है।
हम, भारत के लोग,
भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी
पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य, बनाने के लिए,
तथा उसके समस्त नागरिकों कोः
सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार,
अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता,
सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए
दृढसंकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख
26 नवम्बर 1949 ई। (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत
दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को
अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
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