Izrael-Hamas War: इन दिनों इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी है। अभी तक यह कहना मुश्किल है कि इस युद्ध पर कब विराम लगेगा, क्योंकि प्रतिदिन यहां इमारतों पर मिसाइलें गिरने का क्रम बना हुआ है। इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़े शब्दों में कहा कि युद्ध शुरू तो हमास ने किया है, लेकिन खत्म हम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को फोन पर उनसे बात की और कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में उनके साथ है।
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा संघर्ष होगा, जिससे भारतीय प्रभावित ना होते हों। जिसका कारण है भारतीयों का बड़ी मात्रा में विदेशों में जाना। पिछले वर्ष ही भारत ने युक्रेन में फसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया था। उसी तरह इज़रायल और हमास युद्ध के बीच फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने विशेष अभियान चलाया है, जिसे ‘ऑपरेशन अजय‘ नाम दिया गया है।
इजराइल से छात्रों सहित करीब 212 भारतीयों का पहला जत्था एक चार्टेड विमान से शुक्रवार तड़के दिल्ली पहुंच गया। युद्ध को देखते हुए अभी फ़िलहाल भारतीयों की स्वदेश वापसी का क्रम जारी रहेगा। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली में इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों का स्वागत किया। उन्होंने हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया और उन्हें वेलकम होम कहा।
भारत के इस ऑपरेशन अजय की खास बात यह है कि इस ऑपरेशन के तहत केवल उन्हीं भारतीयों को वापस लाया जाएगा, जो कि भारत आना चाहते हैं। यदि कोई भारतीय वापस स्वदेश नहीं आना चाहता है, तो उसे नहीं लाया जाएगा।इजरायल में हर साल बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक पहुंचते हैं। भारतीय नागरिक यहां पर व्यापार, शिक्षा व अन्य काम से पहुंचते हैं। ऐसे में यहां पर करीब 18,000 भारतीय फंसे हैं। जिनमे छात्रों और आईटी प्रोफेशनल्स की संख्या अधिक है।
भारत के इस महत्वपूर्ण अभियान में चार्टेड फ्लाइट्स को लगाय गया है, जो कि भारतीयों को लाने में मदद करेंगे। वहीं, यदि आवश्यकता हुई, तो नेवी शिप को भी इस अभियान में शामिल किया जाएगा।
Izrael-Hamas War- इजराएल की साख पर असर
यह माना जा रहा है कि अपनी भीषणता और व्यापकता के कारण इस आतंकी हमले ने इस्राइली सुरक्षा तंत्र की साख पर बेइंतहा चोट की है और इस्राइली नागरिकों के दिलो-दिमाग पर इसका असर लंबे समय तक रहेगा। भले ही हमास दावा कर रहा है कि उसके इस हमले का मकसद पूरा हो गया है। पर जहां तक इस्राइल की जवाबी कार्रवाई का सवाल है तो इतना तो तय है कि बात यहीं नहीं रुकेगी। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि नेतन्याहू सरकार इसे किस तरह से अंजाम देगी। फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि गाजापट्टी उसके हमलों का निशाना बनेगी।
गाजापट्टी में हमास का प्रभाव जरूर है, लेकिन वहां 23 लाख लोग रह रहे हैं जिनका एक बड़ा हिस्सा हमास की गतिविधियों और योजनाओं से अनजान होगा। ऐसे बेकसूर लोग जितनी बड़ी संख्या में इस्राइली कार्रवाई के शिकार होंगे, मानवाधिकार का सवाल उतने बड़े रूप में उभरेगा और फलस्तीनियों के लिए सहानुभूति भी बढ़ेगी।
वेस्ट बैंक में कई महीनों से तनाव की आग धधक तो रही थी, लेकिन किसी ने भी गाजा की तरफ से इस किस्म के समन्वित और कम तकनीक वाले लेकिन घातक आकस्मिक हमले की उम्मीद नहीं की थी। यह हमला कई नैतिक और व्यावहारिक सवाल खड़े करता है।
इजराइल के नागरिकों के खिलाफ हमास की अंधाधुंध हिंसा निंदनीय है और इससे फिलिस्तीन के हित में किसी भी किस्म की मदद नहीं मिलेगी। इसके उलट, इससे फिलिस्तीन के लोगों का जीवन और ज्यादा खतरे में पड़ेगा क्योंकि इजरायल भी आम नागरिकों के हताहत होने की परवाह न करते हुए घिरे हुए इलाके पर दनादन हमले कर रहा है।
ये भी पढ़ें: जातिगत जनगणना: जाति आधारित जनगणना के फायदे और नुकसान, Positive और Negative Facts 2023 in hindi