बाबरी मस्जिद विध्वंस के हुए 31 साल, जानिए बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक का सफर कैसा रहा

बाबरी मस्जिद विध्वंस

बाबरी मस्जिद विध्वंस– 6 दिसंबर 1992 यानि एक ऐसा दिन जो भारतीय इतिहास में इस तरह से अंकित है कि इस दिन से जुड़ी यादें आज भी लोगो के जेहन में ताजा हैं। आज भी मंदिर-मस्जिद से जुड़े मुद्दे उठते ही लोगों के जख्म हरे होने लगते हैं. आज 31 साल बाद भी हर साल 6 दिसंबर के लिए उत्तर प्रदेश की पुलिस को यहां कड़ी सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते हैं.

दरअसल 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन कर रहे हजारों कारसेवकों ने अचानक से उग्र होकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। इस घटना के बाद से देश के अनेक हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें न जाने कितने लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर और केंद्र सरकार पर कारसेवकों से मिली भगत करके मस्जिद गिराने में सहायता करने का आरोप लगा था। हालांकि कल्याण सिंह ने मस्जिद ध्वंस होने के तुरंत बाद ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके अगले दिन यानी 7 दिसंबर 1992 को केंद्र सरकार ने यूपी सरकार को बर्खास्त भी कर दिया था।

बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह का बयान

सरकार बर्खास्त होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 8 दिसंबर को मीडिया में बताया था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस करने का उनका कोई इरादा नहीं था पर उन्हें इस बात का कोई अफसोस भी नहीं है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए मस्जिद विध्वंस हुई। उन्होंने इसे भगवान की मर्जी बताया था। उन्होंने कहा था कि हमारी भाजपा सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। राम मंदिर के लिए मैं एक क्या ऐसी सैकड़ो सत्ता को ठोकर मार सकता हूं। केंद्र सरकार कभी भी मुझे गिरफ्तार कर सकती है, क्योंकि मैंने ही अपनी पार्टी के उस बड़े उद्देश्य को पूरा किया है जिसके लिए वादा करके हमने सरकार बनाई थी।

बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक का सफर

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस से लेकर आज 6 दिसंबर 2023 तक जबकि 22 जनवरी 2024 को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को कुछ ही दिन बचे हैं, अगर देखा जाए तो बाबरी विध्वंस से राम मंदिर के निर्माण तक का सफर जितना आसान लगता है, वास्तव में यह अनेक उतार चढ़ावों से भरा रहा है।

9 नवंबर 2019 को माननीय उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि पर दिए अपने फैसले में कहा कि यह भूमि हिंदुओं की आस्था का केंद्र है और हिंदुओं की यह आस्था कि भगवान राम का जन्म इसी भूमि पर हुआ है, इसके पर्याप्त सबूत है और यह निर्विवाद है। इसलिए हिंदू ही वास्तव में इस भूमि के अधिकारी है। इसलिए यह उन्हीं को मिलनी चाहिए।

इस तरह से पिछले 60 वर्षों से चला आ रहा कानूनी विवाद 9 नवंबर 2019 को समाप्त हुआ था जबकि पिछले सैकड़ो सालों से चल रहा राम जन्मभूमि विवाद भी इसी फैसले के साथ समाप्त हुआ।

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कार सेवकों की हजारों भीड़ ने जब बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था, उस विध्वंस के बाद हुए सांप्रदायिक हिंसों में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे। यह 1947 में आजादी के समय हुए दंगों की तरह ही भारत के लिए एक बुरा सपना जैसा था।

हालांकि बाबरी मस्जिद विध्वंस को आज 31 साल हो चुके हैं किंतु आज भी हर साल 6 दिसंबर की तारीख जैसे ही नजदीक आती है, देशभर की पुलिस व्यवस्था को अलर्ट पर रख दिया जाता है। विशेष तौर पर अयोध्या के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी जाती है। साथ ही वाहनों की चेकिंग बढ़ा दी जाती है

कब होगी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा

राम मंदिर निर्माण के बीच राम भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है, जिन्हें राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार था, उनका इंतजार अब 22 जनवरी 2024 को समाप्त हो जाएगा। अर्थात 22 जनवरी से रामलला 500 साल बाद अपने स्थाई निवास में फिर से विराजमान होंगे। इस दिन सोमवार पड़ रहा है और इस दिन कूर्म द्वादशी भी है। कूर्म द्वादशी 21 जनवरी शाम 7:27 से प्रारंभ होकर 22 जनवरी शाम 7:52 तक रहेगी।

दरअसल विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने कूर्म अर्थात कछुए का अवतार लिया था। इसी कारण यह द्वादशी के रूप में मनाई जाती है। हिंदू धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन कूर्म जयंती मनाई जाती है। सनातन धर्म में कूर्म जयंती को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और इस दिन यदि कोई भी भवन का निर्माण कार्य किया जाए तो वह अवश्य पूरा होता है।

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