National Mathematics Day– हर साल 22 दिसम्बर को महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के सम्मान में उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। श्रीनिवास रामानुजन का गणित के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है। गणित के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन पर गणित दिवस मानाने की घोषणा की थी।
आइये जानते हैं श्रीनिवास रामानुजन कौन थे? कैसे उन्होंने गणित के क्षेत्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया? साथ ही ये भी जानते हैं राष्ट्रीय गणित दिवस कब से मनाया जा रहा है? राष्ट्रीय गणित दिवस का इतिहास क्या है? राष्ट्रीय गणित दिवस की शुरुआत कैसे हुई थी?
राष्ट्रीय गणित दिवस कब से मनाया जा रहा है?
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 26 फरवरी 2012 को मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती समारोह के उद्घाटन के दौरान 22 दिसंबर को हर साल राष्ट्रीय गणित दिवस मनाए जाने कि घोषणा की थी। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह घोषणा भी की कि वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
तब से प्रति वर्ष भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कई शैक्षिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। यह दिवस लोगों को गणित के महत्त्व और क्षेत्र में हुई प्रगति एवं विकास के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
National Mathematics Day 2023- श्रीनिवास रामानुजन कौन थे?
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड (मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। वर्ष 1903 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति प्राप्त की, किंतु अगले ही वर्ष यह छात्रवृत्ति वापस ले ली गई, क्योंकि वे गणित के अलावा किसी अन्य विषय पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे थे। वर्ष 1911 में रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में अपना पहला लेख प्रकाशित किया। केवल 15 साल की उम्र में उन्होंने एप्लाइड मैथ में जॉर्ज शोब्रिज कैर के सिनोप्सिस ऑफ एलिमेंटरी रिजल्ट की एक प्रति प्राप्त की थी।
वर्ष 1913 में उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच। हार्डी के साथ पत्र-व्यवहार शुरू किया, जिसके बाद वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज़ चले गए। वर्ष 1918 में लंदन की रॉयल सोसाइटी के लिये उनका चयन हुआ। रामानुजन ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
श्रीनिवास रामानुजन का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा था, वह स्कूल में पढ़ने के लिए दोस्तों से किताबें उधार लेते थे। 1912 में रामानुजन ने घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क (Clerk) के रूप में काम करना शुरू किया था और देर रात समय मिलने पर गणित के सवालों को हल करते थे। लेकिन प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले वे ट्रिनिटी कॉलेज में शामिल हुए।
1916 में उन्होंने विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1917 में ही उन्हें लंदन मैथेमैटिकल सोसाइटी के लिए चुना गया। ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में फेलोशिप पाने वाले श्रीनिवास रामानुजन पहले भारतीय थे। रामानुजन ने अपने ज्ञान का श्रेय परिवार की देवी, नामगिरी थायर को दिया। कहा जाता है कि रामानुजन अक्सर ये कहते थे कि मेरे लिए ईश्वर के विचारों को व्यक्त करना बहुत जरुरी है। 1919 में रामानुजन भारत लौट आये और एक साल बाद ही उन्होंने 32 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली।
रामानुजन ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी। उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये कई सूत्र प्रदान किये जो परंपरागत तरीकों से अलग थे।
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