International Human Rights Day– अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस वर्ष का उत्सव सभी के लिए अधिकारों को वास्तविकता बनाने के संघर्ष में एक साहसिक कदम के 20 साल पूरे होने का भी प्रतीक है इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र ने की थी। इस दिन को सबसे पहले 10 दिसम्बर 1948 को मनाया गया था। 1948 में 48 देशों के समूह ने सभी मानव-जाति के मूलभूत अधिकारों की व्याख्या करते हुए मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights-UDHR) पर हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। वहीं, भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्तूबर, 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया।
International Human Rights Day- मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा क्या है
मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR)पर हस्ताक्षर मानव अधिकारों के इतिहास में एक मील का पत्थर है। दुनिया के सभी क्षेत्रों के विभिन्न कानूनी और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले प्रतिनिधियों द्वारा तैयार की गई इस घोषणा को 10 दिसंबर 1948 को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सभी लोगों और सभी के लिए उपलब्धियों के एक सामान्य मानक के रूप में घोषित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र की यह घोषणा पहली बार, मौलिक मानवाधिकारों को सार्वभौमिक रूप से संरक्षित करने की बात करती है और इसका 500 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है । यूडीएचआर को व्यापक रूप से सत्तर से अधिक मानवाधिकार संधियों को अपनाने के लिए प्रेरित करने और मार्ग प्रशस्त करने के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो आज भी वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर स्थायी आधार पर लागू होती हैं।
मानवाधिकारों की उपेक्षा और अवमानना के परिणामस्वरूप बर्बर कृत्य हुए हैं जिन्होंने मानव जाति की अंतरात्मा को आहत किया है, और एक ऐसी दुनिया के आगमन को सर्वोच्च आकांक्षा के रूप में घोषित किया गया है जिसमें मनुष्य भाषण और विश्वास की स्वतंत्रता और भय और अभाव से मुक्ति का आनंद लेंगे
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2023 की थीम
हर साल की तरह इस बार का मानवाधिकार दिवस भी विशेष थीम के तहत मनाया जा रहा है। इस बार संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार दिवस 75 पहल के तहत मानवाधिकार दिवस 2023 की थीम सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय निर्धारित की है। यूडीएचआर के अधिकारों में गरिमा और समानता के वादे पर हाल के वर्षों में लगातार हमले हो रहे हैं। चूँकि दुनिया नई और चल रही चुनौतियों का सामना कर रही है – महामारी, संघर्ष, बढ़ती असमानताएँ, नैतिक रूप से दिवालिया वैश्विक वित्तीय प्रणाली, नस्लवाद, जलवायु परिवर्तन – यूडीएचआर में निहित मूल्य और अधिकार हमारे सामूहिक कार्यों के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ते हैं।
भारत में मानवाधिकार की दशा
भारत में 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई थी, जिसके बाद से मानवाधिकार आयोग लगातार राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य क्षेत्रों में काम कर रहा है, जैसे- मजदूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हालांकि भारत में अगर मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है।
पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता दर कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना सामान्य बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। हालांकि शहरों में लोगों को मानवाधिकारों की कुछ हद तक जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं।
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