60% कन्नड़ भाषा विवाद लगातार कर्नाटक में गहराता जा रहा है. बीते 27 दिसम्बर को 60% कन्नड़ भाषा नियम को तुरंत लागू करने के लिए प्रदर्शन कर रहे कुछ कन्नड़ समर्थक समूहों ने केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे सहित राज्य की राजधानी बेंगलुरु के तमाम हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इस विरोध प्रदर्शनों से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में महिलाओं और पुरुषों को कुछ पीले और लाल स्कार्फ (कन्नड़ ध्वज के रंग) में कोर्टयार्ड में घुसते और अंग्रेजी पोस्टर्स को फाड़ते हुए देखा जा सकता है.
कर्नाटक रक्षणा वेदिके (KRV) नाम के एक संगठन ने बेंगलुरु में हुए हिंसक प्रदर्शन में उन साइनबोर्ड्स को तोड़ दिया जिनमें कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था. इसी संगठन के कार्यकर्ताओं ने शहर में रैलियां भी निकाली. संगठन का कहना है कि वह किसी कारोबार के खिलाफ नहीं है लेकिन अगर कोई कर्नाटक में काम कर रहा है तो उसे कन्नड़ भाषा का सम्मान करना ही होगा.
क्या है कर्नाटक में चल रहा 60% कन्नड़ भाषा विवाद
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में एक बार फिर से शुरू हुए भाषा विवाद में इस बार दुकानों, दफ्तरों और अन्य प्रतिष्ठानों के बाहर लगे साइनबोर्ड और नेमप्लेट में कन्नड़ भाषा की हिस्सेदारी कम होने को लेकर निशाना बनाया जा रहा है. दरअसल कर्नाटक राज्य सरकार ने राज्य में व्यापार कर रहे दुकानदारों के लिए नियम लागू किया था कि राज्य में उनकी दुकानों के साइन बोर्ड में कम से कम 60% इनफार्मेशन कन्नड़ भाषा में होनी चाहिए.
बीते दिनों बेंगलुरु महानगर पालिका के आयुक्त तुषार गिरि नाथ ने जारी निर्देश में साफ कहा है कि बेंगलुरु में अगर दुकान खोलकर व्यापार करना है तो अपनी दुकान के साइन बोर्ड पर जो भी इनफार्मेशन लिखनी होगी वो कम से कम 60% स्थानीय अर्थात् कन्नड़ भाषा में होनी चाहिए.
60% कन्नड़ भाषा विवाद- बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के आयुक्त ने निर्देश में क्या कहा
बेंगलुरु महानगर पालिका के आयुक्त तुषार गिरिनाथ ने दुकानदारों के लिए नाम प्लेट पर 60% कन्नड़ भाषा का नियम का प्रयोग निश्चित करने के लिए निर्देश जारी करते हुए उन्हें ऐसा करने के लिए 28 फ़रवरी तक का समय दिया है. साथ ही ये भी स्पष्ट किया है कि यदि व्यापारी ऐसा करने में रूचि नहीं दिखाते हैं तो 28 फरवरी के बाद उन्हें कानूनी कार्यवाई का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही राज्य में व्यापार करने का उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.
60% कन्नड़ भाषा विवाद- बेंगलुरु में हिंसक प्रदर्शन कर रहे KRV गुट के प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग
राजधानी बेंगलुरु में हो रहे हिंसक प्रदर्शन में शामिल कर्नाटक रक्षणा वेदिके (KRV) संगठन के अध्यक्ष टी ए नारायण गौड़ा ने बुधवार मीडिया से कहा कि अलग-अलग राज्य के लोग बेंगलुरु में आकर व्यापार कर रहे हैं। वे अपनी दुकानों पर नेमप्लेट कन्नड़ भाषा में न लगाकर केवल अंग्रेजी भाषा में लगा रहे हैं। यदि वे बेंगलुरु में बिजनेस करना चाहते हैं तो उन्हें कन्नड़ भाषा में ही अपनी दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी वरना कर्नाटक से वापस जाना पड़ेगा।
KRV के नारायण गौड़ा गुट के कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरु के एमजी रोड, ब्रिगेड रोड, लावेल रोड, यूबी सिटी, चामराजपेट, चिकपेट, केम्पेगौड़ा रोड, गांधी नगर, सेंट मार्क्स रोड, कनिंघम रोड, रेजिडेंसी रोड और सदाहल्ली गेट जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों में रैलियां निकालीं. केआरवी नेता नारायण गौड़ा ने सरकार को चेतावनी भी दी कि अगर उसने कन्नड़ के प्रति उनके प्रेम को गंभीरता से नहीं लिया और 60% कन्नड़ भाषा का नियम राज्य में सख्ती से लागू नहीं किया तो 60% कन्नड़ भाषा विवाद का खामियाजा उसे आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें- वीर बाल दिवस 2023- इतिहासकारों ने वीर साहिबजादों के बलिदान को क्यों भुला दिया