1929 की महामंदी– जब भी विश्व में मंदी की बात होती है तो सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में 1929 में दुनिया भर में शुरू हुई महामंदी की तस्वीर सामने आती है. हालांकि दुनिया में कई बार मंदी आई है. वर्ष 2008 में भी दुनिया भर मंदी छाई थी, उस समय भी लगभग हालात 1929 जैसे हो गए थे. इसके बाद हाल ही में कोरोना काल में भी विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई थी, जिससे उबरने में काफी समय लग गया था.
1929 की महामंदी के बाद शुरू हुई शस्त्र अर्थव्यवस्था
19वीं सदी की सबसे भयानक महामंदी की शुरुआत वर्ष 1929 में हुई थी पर इसका प्रभाव लगभग द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने तक यानि 1939-40 तक रहा. लगभग 1 दशक तक कायम रही इस महामंदी ने दुनिया को व्यापार के नए रास्ते भी दिए, जिसमे से सबसे महत्त्वपूर्ण था हथियारों का व्यापार. यही वो क्षण था जब दुनिया ने शस्त्र अर्थव्यवस्था को पहचाना.
1929 की महामंदी के बाद शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका जैसे देशों को अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए एक बड़ा फंडा हाथ लग गया। अमेरिका सहित विभिन्न देशों में सैन्य प्रसार-प्रचार से न केवल नौकरियों के द्वार खुले, बल्कि हथियारों के उत्पादन से अर्थव्यवस्थाओं में भी जान आ गई।
Must Read– 1929 की महामंदी के बाद दुनिया में शस्त्र अर्थव्यवस्था की शुरुआत कैसे हुई थी
1929 की महामंदी के कारण
वैसे तो वर्ष 1929 की महामंदी के अनेक कारण हैं, जिनकी हम यहाँ चर्चा करने वाले हैं पर उनमे से सबसे महत्त्वपूर्ण कारण अक्टूबर 1929 में अमेरिकी मार्केट का क्रैश होना था. किसी देश की मार्केट का क्रैश होने से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है विशेष तौर पर वो देश अमेरिका जैसा देश हो तो इसका स्पष्ट उदहारण 1929 की महामंदी को माना जा सकता है. आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि वर्ष 1929 की महामंदी के प्रमुख कारण क्या थे
- 23 अक्टूबर 1929 को न्यूयार्क-स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों का मूल्य अचानक से 50 अरब डॉलर गिर गया था। अमेरिकी सरकार और पूँजीपतियों के प्रयास से स्थिति कुछ ठीक हुई लेकिन अगले महीने यानी नवंबर में फिर से शेयरों की कीमत बहुत घट गई थी। अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का इतना मनोवैज्ञानिक असर पड़ा कि वहां के लोगों ने अपने खर्चो में दस फीसदी तक की कमी कर दी जिससे मांग प्रभावित हुई। लोगों ने बैंकों के कर्ज चुकाने बंद कर दिए जिससे बैंकिंग ढांचा चरमरा गया और कर्ज मिलने बंद हो गए. लोगों ने बैंकों में जमा पैसा निकालना शुरू कर दिया। इससे कई बैंक दिवालिया होकर बंद हो गए।
- 1930 की शुरुआत मे अमेरिका में पड़े सूखे की वजह से कृषि बर्बाद हो गई जिससे कृषि अर्थव्यवस्था चरमरा गई। इसने ‘नीम पर करेले’ का काम किया। अमेरिका की इस मंदी ने बाद में अन्य देशों को भी चपेट में ले लिया और देखते ही देखते यह महामंदी में तब्दील हो गई।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका और जापान में बड़े-बड़े कल कारखाने खोले गये थे। इन कारखानों में बड़ी मात्रा में उत्पादन होता था। इनमें युद्ध के दौरान जितनी वस्तुओं का निर्माण किया जाता था, उतनी ही वस्तुओं का निर्माण युद्ध के बाद भी जारी था। जिसका परिणाम यह हुआ कि, बाजा़र में वस्तुएं भरी पड़ी थीं लेकिन उन्हें खरीदने वाला कोई नहीं था।
- अमेरिका ने साल 1929 की शरद ऋतु में यह घोषणा कर दी कि अब वह किसी भी देश को क़र्ज़ नहीं देगा। वर्ष 1928 के पहले छह माह तक विदेशों में अमेरिका का क़र्जा़ एक अरब डॉलर था, जो कि साल भर के भीतर घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी क़र्जे़ पर अधिक निर्भर थे उन पर गहरा संकट मंडराने लगा था। साथ ही, पूरी दुनिया की क्रयशक्ति घट गई. अमेरिका की इस घोषणा से यूरोप के बड़े-बड़े बैंक धराशायी हो गये थे, ब्रिटेन समेत कई देशों की मुद्राओं की कीमतें बुरी तरह से गिर गईं.