World Sleep Day– नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमारे शरीर को आराम और पुनर्निर्माण करने का समय देता है. पर्याप्त नींद हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, और हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों के खतरे को कम करती है। साथ ही पर्याप्त नींद हमारी एकाग्रता और याददाश्त को बढ़ाती है, तो वहीँ तनाव और चिंता को कम करती है। नींद के महत्त्व को देखते हुए ही हर साल World Sleep Day मनाया जाता है.
हमारी नींद को कई चीजें प्रभावित करती है, जिसमें से एक हमारे सोने का तरीका भी है। हम कैसे सोते हैं, इसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा भी प्रभाव पड़ सकता है। इतना ही नहीं अकेले सोने या बेड शेयर करने का भी हमारी सेहत पर असर पड़ता है। आज इस लेख में हम आपको बताएँगे कि अकेले सोने के क्या फायदे होते हैं और साथ ही क्या नुकसान हो सकते हैं? ये भी जानेंगे कि नींद के महत्त्व को समझाने के लिए हर साल World Sleep Day कब मनाया जाता है?
कब मनाया जाता है World Sleep Day
हर साल मार्च महीने के तीसरे शुक्रवार को दुनिया भर में अनेक देशों में World Sleep Day मनाया जाता है. इस साल 2024 में World Sleep Day 15 मार्च को मनाया गया है. हेल्दी रहने के लिए अच्छी और साथ ही पूरी नींद लेना अत्यंत जरूरी है। यही वजह है कि नींद के महत्व और इससे जुड़े डिसऑर्डर के बारे में जारूकता फैलाने के मकसद से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को World Sleep Day मनाया जाता है।
दुनिया में सभी के सोने के अपने अपने तरीके हैं. किसी को अकेले सोना पसंद है तो किसी को साथ में. हालांकि फायदे और नुकसान दोनों में हैं, अकेले सोने में भी और बेड शेयर करने में भी. यह व्यक्ति और उसकी पसंद पर निर्भर करता है. इस लेख में हम अकेले सोने के फायदे और नुकसान के बारे में चर्चा करेंगे.
क्या हैं अकेले सोने के फायदे
वैसे तो ज्यादातर स्टडी में अकेले सोने की अपेक्षा बेड शेयर करने के फायदे ज्यादा हैं, पर कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बेड शेयर करने से लोगों की नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। खासकर उन लोगों की, जो अपने पार्टनर के खर्राटों या बार-बार करवट बदलने के कारण गहरी नींद नहीं ले पाते हैं। अकेले सोने का सबसे महत्त्वपूर्ण फायदा यही कि आपको आराम से सोने के लिए पूरी जगह मिलती है. आप अपने रूम का टेम्परेचर अपने हिसाब से मैनेज कर सकते हैं.
अध्ययनों से पता चला है कि अकेले सोने से तनाव कम होता है, मूड में सुधार होता है, और एकाग्रता और याददाश्त में वृद्धि होती है। अकेले सोने से आपको अपनी नींद की आदतों और दिनचर्या पर नियंत्रण रखने की स्वतंत्रता मिलती है। साथ ही महत्त्वपूर्ण ये है कि अकेले सोने से आपको शांत समय मिलता है, जिसमें आप आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं, पढ़ सकते हैं, या ध्यान कर सकते हैं।
क्या हैं अकेले सोने के नुकसान
हम जानते हैं किसी भी चीज के दो पहलू अवश्य होते हैं, अगर एक पक्ष में फायदा है तो उसका दूसरा पक्ष नुकसान का भी होता है. इसी तरह अकेले सोने के भी अपने फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. अकेले सोने से कुछ लोगों को अकेलापन और अलगाव महसूस हो सकता है. अकेले सोने से कई लोगों को अपनी सुरक्षा और सेहत की चिंता भी हो सकती है, विशेषतौर पर बीमारों को, जिनकी देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है. साथ ही महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भी अकेले सोने में सुरक्षा की चिंता हो सकती है.
कई लोगों की दिनचर्या अकेले सोने से प्रभावित हो सकती है, उन्हें सोने में अधिक समय लग सकता है या सुबह उठने में भी देर हो सकती है. एरिजोना विश्वविद्यालय में हुई एक स्टडी में यह पता चला है कि अपने साथी या जीवनसाथी के साथ बेड शेयर करने वाले लोग अकेले सोने वालों की तुलना में बेहतर सोते हैं। अध्ययन के अनुसार, अकेले सोने वालों की तुलना में पार्टनर के साथ बिस्तर शेयर करने वालों को अनिद्रा, थकान और ज्यादा सोने की समस्या कम होती है।
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