Repo Rate– हाल ही रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति(MPC) की 3 दिवसीय बैठक के बाद RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक में हुए फैसले का ऐलान करते हुए बताया कि बैठक में विस्तार से चर्चा के बाद एमपीसी ने फैसला किया है कि रेपो रेट को अभी 6.5% पर ही स्थिर रखा जाए। MPC बैठक में शामिल छह में से पांच सदस्य इसके समर्थन में थे. RBI ने लगातार 7वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने साथ ही ये भी कहा कि वैश्विक आर्थिक परिद्श्य से मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। महंगाई में भी कमी आती दिख रही है।
अंतिम बार फरवरी 2023 में हुआ था Repo Rate में बदलाव
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में आखिरी बार बीते साल 8 फरवरी, 2023 को इजाफा किया था. तब आरबीआई ने इसे 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था. तब से लगातार छह MPC बैठक में Repo Rate को यथावत रखा गया है. दिसंबर, 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.69 फीसदी के स्तर पर थी। ऐसे में इस बार भी रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम थी। रियल एस्टेट के दिग्गजों ने भी यह उम्मीद जताई थी कि डेवलपर्स और होम बॉयर्स को ध्यान में रखते हुए आरबीआई रेपो रेट को स्थिर रखेगा.
Repo Rate के साथ ही रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा है. MSF रेट और बैंक रेट 6.75% पर बरकरार है. जबकि, SDF रेट 6.25% पर स्थिर है.
Repo Rate क्या है
रेपो दर उस दर को संदर्भित करती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक धन की कमी की स्थिति में या कुछ वैधानिक उपायों के कारण तरलता बनाए रखने के लिए हमारे देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अपनी प्रतिभूतियां बेचकर पैसा उधार लेते हैं। मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए यह आरबीआई के मुख्य उपकरणों में से एक है. रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
Repo Rate में बदलाव का आम आदमी के जीवन में क्या असर होता है
वैसे तो रेपो रेट मुख्य रूप से RBI वाणिज्यिक बैंको से उन्हें कर्ज देने के बदले वसूलता है पर इसमें होने वाले बदलावों से आम आदमी भी अछूता नहीं है. वास्तव में रेपो रेट में किसी प्रकार के बदलाव होने से इसका सीधा असर लोगों के लोन की EMI पर पड़ता है. अगर रेपो रेट में किसी प्रकार की कमी की जाती है तो लोगों के कार लोन और होम लोन की EMI घट जाती है और Repo Rate में वृद्धि होती है तो कार लोन और होम लोन की EMI भी बढ़ जाती है.
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