RBI Repo Rate– RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 से 8 फरवरी तक चली मौद्रिक नीति समिति(एमपीसी) की बैठक के बाद लगातार 7वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का ऐलान किया है. शक्तिकांत दास ने बताया कि दिसम्बर 2023 में देश में खुदरा महंगाई दर 5.69 फीसदी के स्तर पर थी. इसीलिए एमपीसी की बैठक में हमने अभी फ़िलहाल रेपो रेट स्थिर रखने का फैसला किया है. बैठक में शामिल 6 सदस्यों में से 5 ने इसके पक्ष में समर्थन जताया था.
आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था, तब से अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेपो रेट में होने वाले बदलाव वैसे तो सीधे तौर पर आम आदमी को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इन दरों का संबंध देश के सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र के बैंकों के RBI से लेने वाले कर्ज से होता है. पर इन सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र के बैंकों से कर्ज लेने वाले व्यक्ति जरुर इससे प्रभावित होते हैं.
RBI Repo Rate 2024- रेपो रेट में बदलाव से आम आदमी पर क्या होता है असर
जब भी RBI Repo Rate में किसी प्रकार का बदलाव करता है तो RBI से कर्ज लेने वाले बैंको से लोन लेने वाले लोगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलता है. अगर रेपो रेट में वृद्धि की जाती है तो RBI द्वारा निगमित बैंकों से लोन लेने वाले लोगों की EMI भी बढ़ जाती है. विशेष रूप से इन बैंको से कार लोन, होम लोन और पर्सनल लोन लेने वाले रेपो रेट में वृद्धि से प्रभावित होते हैं. वहीँ दूसरी तरफ अगर रेपो रेट में किसी प्रकार की कटौती की जाती है तो लोगों के कार लोन, होम लोन और पर्सनल लोन की EMI भी कम हो जाती है.
इसलिए रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है जबकि रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती हैं.
क्या होता है रेपो रेट
जिस तरह हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में कार्य कर रहे बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक निर्धारित ब्याज के साथ किस्तों में चुकाते हैं, उसी तरह सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है. उन्हें ये कर्ज RBI की तरफ से दिया जाता है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहते है.
MPC करती है रेपो रेट का निर्धारण
हाल ही में 6 से 8 फरवरी 2024 को आयोजित साल की पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 3 दिवसीय बैठक के तीसरे दिन RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को संबोधन करके बताया था कि MPC ने वर्ष 2023 के आखिर में देश में खुदरा महंगाई के स्तर को देखते हुए फैसला किया कि अभी के वक्त में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा और रेपो रेट अपने पूर्व स्तर 6.5% पर कायम रहेगी. ऐसा MPC की लगातार 7वीं बैठक में हुआ जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आखिरी बार 8 फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया गया था. तब रेपो रेट 6.25% से बढाकर 6.5% किया गया था.
RBI द्वारा गठित मौद्रिक नीति समिति की साल में कई बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमे RBI Repo Rate, रिवर्स रेपो रेट, बैंक रेट, MSF रेट और SDF रेट की स्थिति पर और इसमें आवश्यक वृद्धि या कमी पर चर्चा करता है. इसी के अनुसार समय-समय पर RBI Repo Rate घटाता और बढ़ाता है. हालांकि आरबीआई ने काफी समय से रेपो रेट को स्थिर रखा है. इससे पहले कोरोना काल में भी RBI ने रेपो रेट काफी समय तक स्थिर रखा था.
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