राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल 11 नवम्बर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आज़ाद के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 11 नवम्बर 2008 से हुई थी. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए प्रतिवर्ष मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन (11 नवंबर) की स्मृति में ही ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन को स्वतंत्र भारत में शिक्षा प्रणाली की नींव रखने और क्षेत्र में देश के वर्तमान प्रदर्शन का मूल्यांकन और सुधार करने में आजाद के योगदान को याद करने के अवसर के रूप में भी देखा जाता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11,सितंबर 2008 को घोषणा की थी कि मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए भारत के इस सपूत के जन्मदिन को मनाने का फैसला किया है। इसे पुरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाएगा, इसे अवकाश के रूप में घोषित किया जाएगा। देश के सभी शैक्षणिक संस्थान साक्षरता के महत्व और शिक्षा के सभी पहलुओं के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता पर बैनर कार्ड और नारों के साथ सेमिनार, संगोष्ठी, निबंध-लेखन, भाषण प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं और रैलियों के साथ दिन को मनाने की घोषणा करते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस थीम 2023: एक सतत भविष्य के लिए अभिनव शिक्षा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय हर साल इस दिवस पर कोई थीम रखता है. इस बार 2023 में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम “एक सतत भविष्य के लिए अभिनव शिक्षा” रखी गई है. इस थीम के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने और एक टिकाऊ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा
विशेष बात ये है कि 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जनवरी 2018 को एक प्रस्ताव पारित करके 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया था.
अबुल कलाम आज़ाद का परिचय
अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का शहर (सऊदी अरब) में हुआ। उनका वास्तविक नाम मुहिउद्दीन अहमद था। अपने पिता से आरंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आज़ाद मिश्र के प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान जामिया अज़हर चले गए जहाँ उन्होंने प्राच्य शिक्षा प्राप्त की। आज़ाद को उर्दू, फ़ारसी, हिंदी, अरबी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं में महारथ हासिल हुई।
आज़ाद अरब से प्रवास करके हिंदुस्तान आए तो कलकत्ता को अपनी कर्मभूमि बनाया। यहीं से उन्होंने अपनी पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन का आरंभ किया। आज़ाद ने 1905 में बंगाल विभाजन का विरोध किया और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की अलगाववादी विचारधारा को खारिज़ कर दिया। कलकत्ता से 1912 में ‘अलहिलाल’ नाम से एक साप्ताहिक निकाला। यह पहला सचित्र राजनैतिक साप्ताहिक था और इसकी मुद्रित प्रतियों की संख्या लगभग 52 हज़ार थी। इस साप्ताहिक में अंग्रेज़ों की नीतियों के विरुद्ध लेख प्रकाशित होते थे, इसलिये अंग्रेज़ी सरकार ने 1914 में इस साप्ताहिक पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद मौलाना ने ‘अलबलाग़’ नाम से दूसरा अख़बार प्रकाशित किया। यह अख़बार भी आज़ाद की अंग्रेज़ विरुद्ध नीति पर अग्रसर रहा।
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