Ayodhya Update- प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार करने का कांग्रेस का निर्णय कितना सही है

Ayodhya Update

Ayodhya Update– 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर दिन प्रतिदिन तैयारियां तेज होती जा रही हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश भर में अनेकों हस्तियों को निमंत्रण भेजा जा रहा है। देशभर की अनेक राजनीतिक पार्टियों के कुछ प्रमुख लोगों को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा जा रहा है।

कई राजनीतिक पार्टियों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मिले निमंत्रण को स्वीकार किया जबकि कई राजनीतिक पार्टियों ऐसी रही जिन्होंने प्राण प्रतिष्ठा जैसे कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया। कांग्रेस उनमें से एक है।

आज हम इस आलेख में कांग्रेस के इसी निर्णय की चर्चा करेंगे कि क्या कांग्रेस ने किसी एक वर्ग के तुष्टिकरण के लिए मंदिर में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार किया है या वह इसे भाजपा का कार्यक्रम बताकर कोई नया राजनीतिक खेल खेलना चाह रही है?

Ayodhya Update- प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए मिले निमंत्रण पर कांग्रेस ने क्या कहा

22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए निमंत्रण मिलने पर कांग्रेस पार्टी ने निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह कार्यक्रम कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं है बल्कि यह भाजपा द्वारा प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम है। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का चुनाव से पूर्व उद्घाटन करके राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस का कहना है कि मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है फिर भी क्योंकि आगे लोकसभा चुनाव होने वाला है इसलिए उससे पहले ही अधूरे बने मंदिर का उद्घाटन करके भाजपा अपने लिए देश भर में एक राजनैतिक लहर बनाना चाह रही है।

प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने को लेकर दो भागों में बंटी कांग्रेस

एक तरफ कांग्रेस पार्टी के आला कमान में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है, कांग्रेस के अधिकतर बड़े नेता भी प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर चुके हैं, तो वहीं कांग्रेस की गुजरात इकाई के एक नेता ने पार्टी के इस निर्णय को गलत बताया है और यह अकेले ऐसे नेता नहीं हैं। कांग्रेस के कई ऐसे नेता प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने के पार्टी के निर्णय को गलत बता चुके हैं।

कांग्रेस के दिग्गज नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम भी पार्टी के इस निर्णय से असहमति जता चुके हैं. रामनगरी पहुंचे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस नेतृत्व से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने का आमंत्रण ठुकराने के कांग्रेस के निर्णय को आत्मघाती बताया।

क्या कांग्रेस पार्टी का फैसला तुष्टिकरण से प्रेरित है

हिन्दू धर्म से जुड़े कोई भी मसले हों तो कांग्रेस पार्टी का इतिहास सदैव से उसके खिलाफ खड़े होने का ही रहा है. 1986 में राजीव गांधी सरकार द्वारा विवादित स्थल पर ताले खोलने का श्रेय लेने से लेकर 1991 के लोकसभा घोषणापत्र में मौजूदा बाबरी मस्जिद को परेशान किए बिना अयोध्या में एक नया मंदिर बनाने का वादा करने से लेकर नरसिम्हा राव सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को एक नया मस्जिद बनाने का आश्वासन देने तक 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से कांग्रेस और उसके नेता अपना रुख बदलते रहे हैं।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल ना होने का फैसला करके कांग्रेस ने एक बार फिर से देश के मुस्लिमों को उनके हितैषी होने का सन्देश देने की कोशिश की है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने एक ओर अयोध्या में राम मंदिर को भाजपा-आरएसएस-वीएचपी गठबंधन की राजनीति से जोड़ने की कोशिश की.

ये भी पढ़ें– Uttar Pradesh Update- 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश में रहेगा सार्वजानिक अवकाश

Gyan Duniya

Gyan Duniya

We are working to build a platform for the world to get all the information here

One thought on “Ayodhya Update- प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार करने का कांग्रेस का निर्णय कितना सही है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RBI ने इस प्राइवेट बैंक पर लगाया प्रतिबंध, नहीं जोड़ सकेगा नए क्रेडिट कार्ड ग्राहक क्या आप जानते हैं कब हुई थी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने की शुरुआत देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक ने जारी किये चौथी तिमाही के रिजल्ट, इतने प्रतिशत रही ग्रोथ आसमान की रानी ने भरी आखिरी उड़ान, Air India ने किया अलविदा जानें Top 5 AI image generator, Free में बना सकते हैं मनपसंद Images