Recession– जब भी हम आर्थिक मंदी की बात करते हैं तो अक्सर हमारे मस्तिष्क में दुनिया भर में आई 2008 की आर्थिक मंदी और कोरोना काल के दौरान दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी की तस्वीर सामने आ जाती है. उस समय भी दुनिया भर के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. अनेक देशों में कार्य कर रहीं बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां भी घाटे में चली गई थीं. गूगल, ट्विटर, फसबुक और अमेजन समते कई बढ़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छटनी कर दी थी. हाल ही में खबर है कि जापान की इकोनॉमी भी मंदी की चपेट में है.
Recession- जापान हुआ आर्थिक मंदी का शिकार
अभी तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जापान इस समय Recession की चपेट में है और अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश नहीं रह गया है. इस समय जापान चौथे पर खिसक गया है जबकि चौथे पर काबिज जर्मनी अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है. अक्टूबर में, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने अनुमान लगाया था कि जर्मनी दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन सकती है।
जापान इस समय कमजोर करंसी, बढ़ती उम्र और घटती आबादी से जूझ रहा है। इससे पहले 2010 में चीन की अर्थव्यवस्था बढ़ने के कारण जापान दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया था। दुनिया में पहले नंबर पर अमेरिका की इकोनॉमी है। जापान के कैबिनेट ऑफिस की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश की GDP 2023 के आखिरी तीन महीनों में एक साल पहले की तुलना में उम्मीद से ज्यादा 0.4% सिकुड़ी है। उससे पहले की तिमाही में इकोनॉमी 3.3% सिकुड़ी थी।
क्या होती है आर्थिक मंदी
आर्थिक मंदी का अर्थ है लगातार 2 तिमाही तक किसी देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ% नकारात्मक रहना. जब किसी देश की अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक रहती है तब इसे देश में मंदी कहा जाता है। अमेरिकी लेखक बो बेनेट ने मंदी के बारे में कहा है कि यह तय है कि जैसे वसंत के बाद सर्दी आएगी, वैसे ही समृद्धि और आर्थिक विकास के बाद मंदी भी आएगी।
मूल रूप से मंदी(Recession), एक आर्थिक संघर्ष का वह चरण है जिसमें किसी राष्ट्र की आर्थिक गतिविधियों में काफी गिरावट आती है। इस तरह के आर्थिक संकट से बेरोजगारी बढ़ती है और मंदी के दौरान खुदरा बिक्री में गिरावट भी आती है। यह आर्थिक व्यापार चक्र का एक अभिन्न हिस्सा है।
मंदी के दौरान देश की आर्थिक स्थिति हर तरह से खराब होती है। मंदी के दौरान, अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित होती है। लोगों को काम नहीं मिलता, नौकरियों में कटौती होती है, कंपनियां कम बिक्री करती हैं और देश के समग्र आर्थिक उत्पादन में गिरावट आती है।
किसी देश में आर्थिक मंदी आने के कुछ संभावित कारक
किसी देश में आर्थिक मंदी आने के अनेक संभावित कारक हो सकते हैं; जैसे-
- अचानक आर्थिक झटका
- अत्यधिक ऋण
- शेयर बाज़ार की गिरावट
- महंगाई
- मुद्रा अपस्फीती
- तकनीकी परिवर्तन
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